vyakti ban kar aa
मैं सदा जिसके लिए भटकता रहा
वह तो मुझसे दो क़दम पर ही था,
फिर मुझसे ऐसी भूल कैसे हो गयी
कि मैंने सारी आयु उसे ढूँढने में ही बिता दी!
या तो मैं सचमुच उसे पाना नहीं चाहता था,
शब्दों से सराहता था, अपनाना नहीं चाहता था,
या मेरी आँखें मुँदी हुई थीं,
और मैं घेरे में घूम रहा था।
आज तक क्यों नहीं दिखा मुझे वह गुलमुहर
जो मेरे सामने ही झूम रहा था!