vyakti ban kar aa

वह जो गाना था मुझे, अगेय ही रहा।
ओ महिमामय ! तेरा देय अदेय ही रहा;
शत-शत रूपों में उसे बाँधा,
बँध नहीं सका,
जीवन भर दौड़ता रहा बेसुध मन
हारा, थका;
प्रेम का चमकता हुआ हिम-शिखर
चिर-अजेय ही रहा।