भावों का राजकुमार_Bhavon Ka Rajkumar
- अँधेरा
- अम्बर तक जय-घोष छा रहा
- अकेलेपन का सफ़र
- अपूर्ण प्रेम
- आईने से बातचीत
- आज हिमालय के शिखरों पर
- उमरखैयाम
- मिट्टी का आँगन – एक कुम्हार बाला के प्रति
- कश्मीर -हर कहीं अमृतमयी धारा है
- क्या करूँ !
- कौन !
- घृणा, विद्वेष जड़ता के – जवाहरलाल नेहरु के निधन पर
- जागो भारतवासी – तुम्हें पुकार रहा हिमगिरी से
- जोश मलीहाबादी-दिल तो रंगों का खजाना
- टूटा पत्ता
- पतझड़
- छिप गया अचानक ज्योति-पुंज – पद्मभूषण श्री सीताराम सेकसरिया के निधन पर
- परशुराम का पश्चात्ताप
- पराधीनता निशा कट गयी – प्रथम स्वाधीनता-दिवस के अवसर पर
- मुकुट नगाधिराज का – प्रयाण-गीत
- किसने पिघले हुए अनल को – १९६५ के पाकिस्तानी आक्रमण पर
- पूरब-पश्चिम दोनों दिशी से – १९६५ के पाकिस्तानी आक्रमण पर
- पानी बरस कर खुल गया
- बदरीनाथ के पथ पर
- जन-मन नायक – बिहार हिंदी साहित्य सम्मलेन के अवसर पर
- बेढब जी – वाणी में बहक घोलनेवाले
- जय हो, हे हिंदी-उद्धारक! – भारतरत्न श्री पुरुषोत्तमदास टंडन के प्रति
- भावों के राजकुमार
- मरघट के फूल
- माँझी से
- माँ की याद
- जब अपनी तुलना – मानस-चतुश्शती की सन्निधि में
- मेरे भारत, नेरे स्वदेश
- हम उन्हें नदी के तीर – मेरे साहित्य-गुरु बेढ़बजी के निधन पर
- दो सुत प्यारे – रामनवमी
- मृत्युदंड सुनते ही – वंदी
- सत्य-अहिंसा शस्त्र न छूटे
- सबल की न धनवान की
- सीता-वनवास – था राम को वनवास
- सैनिक से – तुम रुकते तो रुक जाता है
- हमने बचपन से चीनी के
- हरिद्वार की गंगा के किनारे
- हवा और पानी सी धरती