देश विराना है_Desh Virana Hai

  1. अकेलेपन का सफ़र
  2. अब इस शेष विदा के क्षण में
  3. अब कुल राम हवाले
  4. अब तो ठहरने लगे किनारे
  5. अब तो चलने के दिन आये
  6. अब यह खेल अधूरा छोड़ो
  7. अभी बज रहे थे, अब नीरव है वीणा के तार
  8. अयि अमर चेतने ज्योति-चरण
  9. अंत में सभी छले गये
  10. अन्धकार, अन्धकार, अंधकार
  11. आकाश का यह कौन सा किनारा है ?
  12. इस अँधेरे बंद घर में
  13. इस तट पर ठहरा है कोई उस तट पर ठहरा है
  14. इसी को कहते हैं क्या जीना
  15. इसके पहले कि सूरज अस्त हो जाए
  16. इसके लिए दुःख मत करना
  17. एक दिन वासंती संध्या में
  18. एक लहर तीर से लिपट कर बोली
  19. ऐसी बहार फिर नहीं आएगी मेरे बाद_ग़ज़ल
  20. कहाँ इस पुर के रहने वाले ?
  21. काल ! तू कौन कहाँ से आया?
  22. कितने बंधु गए उस पार
  23. कितने शीघ्र आ गए हैं हम नदी के किनारे !
  24. कौन अब सुनेगा ये गीत ?
  25. खुला है अंध गुफा का द्वार
  26. खेल लेने दो मन का दाँव
  27. गड़ेरिये के गीत – पर्वत-घाटी पार वे गये
  28. गड़ेरिये के गीत – पंथ अगम, निशि भारी
  29. गड़ेरिये के गीत – संध्या की पीली किरणों पर चढ़कर
  30. घुटती साँस, छूटता साहस
  31. चतुष्पदियाँ
  32. चले गए वे दिन छिपने पर
  33. चलो धीरे से इस बस्ती में
  34. जब पछताते हुए मैंने कहा
  35. जब भी नाम हमारा आये
  36. जिस दिन नीरव होगी वीणा
  37. जिस क्षण चलने की वेला हो
  38. जी करता है आंखे मूँदूं
  39. जो यहाँ पे आये थे सैर को
  40. ज़हर सबको पीना पड़ता है
  41. डूब रहा हूँ मैं महाशून्य के अँधेरे में
  42. तार न जब डोलेगा
  43. तूने क्या खोया, क्या पाया !
  44. तूने कितना प्रेम निभाया
  45. दिन का शेष हुआ जाता है
  46. दीपक के बुझने का पल है
  47. दीपक मंद हुआ जाता है
  48. दूसरे जब थककर सो जायेंगे
  49. देख रहा मैं सम्मुख स्मृति से धुंधलके
  50. धरती पर, अम्बर के नीचे
  51. धीरे धीरे उतर रही है
  52. न जाने क्या होगा उस ओर
  53. निर्जन यमुना-तट से
  54. पता नहीं, लोग क्यों डरते हैं
  55. पहले मैं लाठी को घुमाता था
  56. पथ के अंतिम मोड़ पर
  57. पल-पल प्रहर-प्रहर
  58. प्राण-वीणा के सुनहले तार जब खुलने लगेंगे
  59. फूलों से सजने के दिन आ गये
  60. बादल को तो बरसकर आख़िर बिखर ही जाना है
  61. मिट्टी! छोड़ चरण तू मेरे
  62. मेरे जाने की वेला है
  63. मैं इन धूल भरी गलियों में
  64. मैं उन सीढ़ियों पर आकर बैठ गया हूँ
  65. मैं फिर यहीं खिलूँगा
  66. मुझे फिर है इस जग में आना
  67. मुझे भुला ही देना
  68. मृत्यु की खोज में दीप यह प्राण का
  69. मृत्युदंड
  70. मृत्तिके ! तेरी ही जय होती
  71. यदि मैं तुम्हें भूल भी जाऊँ
  72. यह आकाश सदा ऐसे ही टंगा रहेगा
  73. यह इतिहास अनंत एक लघु क्षण में ले लो
  74. यह भी बीत जायेगा, सब कुछ बीत जायगा
  75. यान निरंतर आगे की ओर भाग रहा है
  76. रात का चँदोवा घिर गया
  77. रात तुम्हारे कर में
  78. लगा है अब तो अंतिम दाँव
  79. लहर तीर पर पहुँच कर चिल्लायी
  80. वही है धरा, वही है अम्बर
  81. वही हो नाव, वही हो धारा
  82. विमुक्ति
  83. वीरान बस्ती
  84. शेर
  85. सब कुछ छोड़ चला बनजारा
  86. सब धरती की ही माया
  87. सभी तरफ़ है अँधेरा, कहीं भी कोई नहीं
  88. सभी फल तोड़-तोड़ ले जाए
  89. सहन है नहीं विरह भी क्षण का
  90. सातों सुर बोलेंगे
  91. सीपियाँ बटोरते बटोरते साँझ हो गयी
  92. हम डाल के सूखे पत्ते हैं
  93. हम सब खेल खेलकर हारे
  94. हमारी वेला बीत चुकी है
  95. हमारे बीत रहे दिन कैसे
  96. हुए सब एक-एक कर न्यारे