bhakti ganga
किस-किसका दूँ धन्यवाद मैं तुझको, मेरे देव, बता!
साँस-साँस का धन्यवाद दूँ या उर की हर धड़कन का!
बाढ़, तड़ित, भूकंप, रोग से रक्षित क्षण-क्षण जीवन का!
या उन दुर्घटनाओं का जिनका मुझको भी नहीं पता!
जब भी मुड़ा नाश की दिशि मैं, तूने मुझको टोक दिया
ठोकर खा गिरने से पहले, हाथ पकड़ कर रोक लिया
श्रेय समझता था मैं जिसको, थी पल भर की भावुकता
बालक के मस्तक पर रहती ज्यों माँ के अंचल की छाँह
मेरे दुर्बल कंधों पर है सदा, दयामय! तेरी बाँह
मैं तो कब का टूट चूका था, साथ न यदि तेरा मिलता
किस-किसका दूँ धन्यवाद मैं तुझको, मेरे देव, बता!