boonde jo moti ban gayee
जब मेरे वस्त्रों की चमक लुप्त हो चुकी है,
मेरे द्वार पर यह डोली कैसी रुकी है!
ओ मेरे सपनों के राजकुमार!
क्या तुझे मेरी याद अब आयी है!
हाय! तूने कितनी प्रतीक्षा करवायी है!
और आया भी कब! जब मेरी मेंहदी का रंग उतर गया है!
मेरा मोतियों का हार टूटकर बिखर गया है!