boonde jo moti ban gayee

मुझे अपनी आत्मा की चिंता नहीं है
वह तो सदा रहेगी ही रहेगी,
मुझे तो केवल यही चिंता है
कि मैं कल यहाँ रहूँगा या नहीं।
तुम्हें अपना कहूँगा या नहीं।
यदि यह दो दिनों का साथ छूटना ही है,
फूलों की तरह हमें डाल से टूटना ही है।
तो बस इतना ही हो कि मेरी अस्मिता तुम्हारी
और तुम्हारी अस्मिता मेरी हो जाय,
थोड़ी-सी हेराफेरी हो जाय,
किंतु भाव यही बना रहे,
मैं तुम्हें तुम्हारी तरह और तुम मुझे मेरी तरह प्यार करो,
समीकरण इतना का इतना रहे।