boonde jo moti ban gayee

मैं दुहरा जीवन जीता हूँ
जीवन नम हुई पुतलियों में बीता है
एक जीवन तपती हुई गलियों में बीता है

अमृत और विष दोनों साथ-साथ पीता हूँ

एक जीवन प्यारभरी चितवनों में बँट गया
एक जीवन बेबसी की तड़पनों में कट गया

कभी तो भरा-भरा, कभी रीता-रीता हूँ

शब्दों के ज्यों ही संदर्भ बदल गये हैं
मेरी कविता में मिले अर्थ नये-नये हैं

अधरों पर मुरली और कर में लिये गीता हूँ
मैं दुहरा जीवन जीता हूँ