boonde jo moti ban gayee
मैंने कितनी उमंगों से तेरे लिये फूलों का हार बनाया था
पर तू उसे तोड़कर चला गया,
मैंने कितनी भावनाओं से तेरे लिये घर सजाया था,
पर तू उसे छोड़कर चला गया,
मेरे सभी आकर्षण व्यर्थ हो गये,
तुझे रोकने में असमर्थ हो गये,
जाने वह कैसी पुकार थी जिसे सुनकर,
तू मुझसे मुँह मोड़कर चला गया!