boonde jo moti ban gayee
शत-शत रूप-रंग-रेखाओं में,
मैंने केवल तुम्हीं को स्वीकारा था;
वन, पर्वत, नदी, कछार, सभी सुंदर थे
परंतु मुझे तो तुमने पुकारा था,
हरियाली की बाँहों में कैसे रुकता भला!
शत-शत रूप-रंग-रेखाओं में,
मैंने केवल तुम्हीं को स्वीकारा था;
वन, पर्वत, नदी, कछार, सभी सुंदर थे
परंतु मुझे तो तुमने पुकारा था,
हरियाली की बाँहों में कैसे रुकता भला!