chandni
चाँदनी श्रृंगार करके चली
नयन खंजन-से तिमिर-अंजन सजे
चल चरण के मनहरण नूपुर बजे
बंक ग्रीवा देखकर सरसिज लजे
वक्ष पर हिम-मोतियों का हार धरके चली
मलय-अंचल तरु-वलय में फँस रहा
पीठ पर उड़ नाग काला डँस रहा
फूल नन्हा दब चरण से हँस रहा
वाम-कर-विधु-दीप में घनसार भरके चली
नील नभ, भू, सप्त सागर, पार कर
स्वर्णमय प्राची-क्षितिज के द्वार पर
क्वणित मणि-किंकिणी-हार उतारकर
शून्य में, श्लथ-चरण छवि के भार, डरके चली
चाँदनी श्रृंगार करके चली
1942