chandni

ज्योत्स्ना रजत-सिंधु-सी उमड़ी

सित घन-फेनोच्छवसित हास-मय
ऊर्मि-निलय मधु-मलय-लास-मय
तारक शत बुदबुद-विलास-मय
रुद्ध-ज्वार दिशि-कूल डुबाती लो फिर लौट पड़ी

किरण-तार गुंफित नभ-वेणी
गौराभामय त्रिवलि-त्रिवेणी
पद-नख-ज्योतित गिरि-तरु-श्रेणी
मध्य इंदु-मुख इंदीवर-निंदित इंदिरा खड़ी

वरुण-लोक भू, वन, गिरि-दरियाँ
झिलमिल वल्लरियाँ जल-परियाँ
जवा-प्रवाल, रत्न-मंजरियाँ
सुमन-सीपियों में मुकुलित मौक्तिक-सी तुहिन-लड़ी
ज्योत्स्ना रजत-सिंधु-सी उमड़ी

1941