chandni

दिगंबर अंबर से उतरी

अलक-विचुंबित चल पग-तलियाँ
झिलमिल तारक-रोमावलियाँ
चपल नयन, घनश्याम पुतलियाँ

यौवन – रंगभरी

दीप जला अँधियारे पथ पर
किरण-खचित बालारुण पग धर
मुस्काती कुंजों के अंदर

पुलकित विभावरी

निरख नग्न-छवि बेसुध जगती
त्रिभुवन मृदु चितवन से ठगती
रति से भी वह सुंदर लगती

नभ की रत्न-परी

दिगंबर अंबर से उतरी

1941