chandni
मिलन-सी खिली रात चाँदनी
सिहर रही शुक्लाभिसारिका काँसमयी धरणी
स्फटिक धूल, कंकड़ हीरक – चय
बन – प्रसून – दल स्वर्णाभा – मय
चमक रहे चाँदी के किसलय
तुहिन-मौक्तिकों से जगमग तरुओं की पाँत घनी
सीप-सी खिली रात चाँदनी
स्वर्गगा, के नील कूल पर
विकच इंदु-इंदीवर सुंदर
पीत पवन, उड़ती रज-केसर
तारक- भ्रमरावलि-मंडित पँखुरी पीयूषसनी
फूल-सी खिली रात चाँदनी
नीलम-सभा, ज्योति की, अंबर
बैठ चाँद के सिंहासन पर
छोड़ रही वह किरणों के शर
कमल-कोरकों में तम-सेना मधुवंदिनी बनी
विजय-सी खिली रात चाँदनी
मेघों के सित अंचल में खिल
हिमकर स्वर्ण-दीप-सा झिलमिल
जलते शलभ-नखत-शिशु तिल-तिल
जुगनू बन उड़ रही विजन-पथ में अंगार-कणी
ज्योति-सी खिली रात चाँदनी
1941