diya jag ko tujhse jo paya
कविता में जीवन है सारा
पास न कुछ भी और, तुम्हें मैं पूजूँ जिसके द्वारा
सब उद्योग रह गये आधे
ज्ञान, ध्यान, जप, जोग न साधे
केवल शब्दों के पुल बाँधे
जीवन को न सँवारा
यदि आतंरिक-बोध के तल पर
मिले तुम्हारी झलक न पल भर
व्यर्थ न कागज़ पर ये सुन्दर
छवियाँ करूँ उतारा!
की, प्रभु! कृपा कि फला पुण्यफल!
गया कवित्व भक्तिरस में ढल
सार्थक किन्तु तभी कवि-कौशल
हो नित स्मरण तुम्हारा
कविता में जीवन है सारा
पास न कुछ भी और, तुम्हें मैं पूजूँ जिसके द्वारा