diya jag ko tujhse jo paya

अटल है जो उसने लिख डाला
उजाला है तो उजाला होगा, काला है तो काला

व्यर्थ सभी रोना-धोना है
जो भी होना है, होना है
वह मिट्टी है या सोना है

सदा न टिकनेवाला

अब जो क्षमादान तू माँगे
निश्चय तुझे फलेगा आगे
क्यों उसका भय-शोक न त्यागे

जो न टलेगा टाला!

तेरे पुण्य-पाप जो गिनता
सौंप उसे दुःख, संशय, चिंता
वही मिटा कुल मोह-मलिनता

शांत करे उर-ज्वाला

अटल है जो उसने लिख डाला
उजाला है तो उजाला होगा, काला है तो काला