diya jag ko tujhse jo paya
कौन हम और कहाँ से आये?
कहाँ जायेंगे निकल यहाँ से, कोई यह बतलाये
यदि पहले अव्यक्त, अगुण थे, गुण कैसे लपटाये ?
सुख-दुःख, राग-द्वेष, चिंता-भय किसने साथ लगाये ?
नियम अकाट्य रचे जो उसने अपने दायें-बाँयें
क्या उन सबको लाँघ नियंता दया दिखा भी पाये ?
हम तो विस्मित हैं कि अर्थ क्या नित यों चक्कर खायें !
क्या ले कर आये थे जग में और साथ क्या जाये ?
कौन हम और कहाँ से आये?
कहाँ जायेंगे निकल यहाँ से, कोई यह बतलाये