diya jag ko tujhse jo paya
भले ही सारा जग मुँह फेरे
चिंता क्या,जब मेरे प्रभु! तू सदा साथ है मेरे
असह उपेक्षायें प्रियजन की
पीड़ायें एकाकीपन की
मैंने सब सिर झुका सहन कीं
क्या न भरोसे तेरे!
व्यर्थ अपेक्षा थी जन-जन से
क्या पाता स्वार्थान्ध भुवन से
बस तुझको न भुलाया मन से
ग्रस पाये न अँधेरे
अब कितना भी पथ दुर्गम हो
वर दे, बस यह भक्ति न कम हो
तनिक न दुःख, संशय, भय, भ्रम हो
काल-बधिक जब घेरे
भले ही सारा जग मुँह फेरे
चिंता क्या,जब मेरे प्रभु! तू सदा साथ है मेरे