diya jag ko tujhse jo paya

एक निद्रा से तो तू जागे
किन्तु दूसरी से जागेगा, मोहपाश जब त्यागे

सपनों में न वास्तविकता है
पर जो जगने पर दिखता है
बता कि क्या वह भी टिकता है

पल भर तेरे आगे

कहाँ विगत के अनुभव सारे?
वे प्रियजन सब कहाँ सिधारे?
कहाँ दृश्य वे प्यारे-प्यारे

जो स्मृति में हैं टाँगे?

मोह, यही तो दुख का कारण
पर यदि यह चेतन का लक्षण
जोड़ इसे मुझसे, मेरा बन

दुख, भय, चिंता भागे

एक निद्रा से तो तू जागे
किन्तु दूसरी से जागेगा, मोहपाश जब त्यागे