geet vrindavan

द्वारिका में जब कोयल बोली
याद आ गयी मनमोहन को राधा की छवि भोली

याद आ गईं प्यारी गायें
वृन्दावन के कुञ्ज, लताएँ
सोचा – ‘अबकी ब्रज में जायें

पुन: खेलने होली

‘कितनी पुलक उठेगी मैया!
दौड़ मिलेंगे प्रिय ‘बल भैया’
नाचेगी फिर ‘ता-ता थैया’

ग्वाल-बाल की टोली’

तभी महाभारत ठनवाने
आ पहुँचे सब सखा सयाने
घेर लिया जग की चिंता ने

मन की गाँठ न खोली

द्वारिका में जब कोयल बोली
याद आ गयी मनमोहन को राधा की छवि भोली