guliver ki chauthi yatra
नाम ही यदि तुझको प्यारा है
तो जप नाम उसीका जिसपर आश्रित जग सारा है
क्या है धरा नाम में तेरे
तुझसे हुए यहाँ बहुतेरे
बाहर निकल, तोड़, जो घेरे
निजता की कारा है
नाम-रूप तो जग में अगणित
बुद्-बुद् से बन-बन मिटते नित
क्यों निज नाम हेतु तू चिंतित
जब अक्षय धारा है
नाम ही यदि तुझको प्यारा है
तो जप नाम उसीका जिसपर आश्रित जग सारा है