har moti me sagar lahre
जब सब करके हारा
तब, प्रभु ! तुम्हें पुकारा
तंत्र-मंत्र थे झूठे
सबने मिलकर लूटे
एक-एककर सारे
जल-बुद्बु्द्-से फूटे
जब कोई न सहारा
तब, प्रभु ! तुम्हें पुकारा
दिया जगत का देना
लिया जगत से लेना
जब तुम रक्षक, भय क्या !
घेरे तम की सेना
मरूँ न उसका मारा
जब कोई न सहारा
तब, प्रभु ! तुम्हें पुकारा