hum to gaa kar mukt huye

जिस दिन नीरव होगी वीणा
गूँज न पायेंगी तेरी ये तानें नित्य-नवीना

उस दिन भरी सभा छूटेगी
मित्र-मंडली भी टूटेगी
छिन्न-तार, तूँबी फूटेगी

राग-रहित, श्री-हीना

मेरे मन उस दिन धुन तेरी
किस अनंत में देगी फेरी?
धर कौन-सी राह अँधेरी

भटकेगी यह दीना?

जिस दिन नीरव होगी वीणा
गूँज न पायेंगी तेरी ये तानें नित्य-नवीना

नवम्बर 86