hum to gaa kar mukt huye

अब यह ध्वजा कौन पकड़ेगा?
कौन कठिन इस नागपाश से अपने को जकड़ेगा?

आगेवाले दूर खड़े हैं
साथी थककर लौट पड़े हैं
कुछ छोटे कुछ बहुत बड़े हैं
अपनी लघुता में भी मुझसा कौन भला अँकड़ेगा

थककर चूर-चूर तन मेरा
पर न पराजित है मन मेरा
जिसको सब कुछ अर्पण मेरा
उसकी जय के लिए काल से भी दो हाथ लड़ेगा!

अब यह ध्वजा कौन पकड़ेगा ?
कौन कठिन इस नागपाश से अपने को जकड़ेगा?

अगस्त 86