jyon ki tyon dhar deeni chadariya
भक्तिरहित ज्ञान
सृष्टि संयोग, भोग जीना हो
प्रकृति जड़ न्याय-नीति-हीना हो
क्या करूँ ज्ञान भी ऐसा जिसमें
भक्ति का रस न भावभीना हो!
भक्तिरहित ज्ञान
सृष्टि संयोग, भोग जीना हो
प्रकृति जड़ न्याय-नीति-हीना हो
क्या करूँ ज्ञान भी ऐसा जिसमें
भक्ति का रस न भावभीना हो!