jyon ki tyon dhar deeni chadariya
क्षमायाचना
हो मिलन न प्रियजन से अनंत की धारा में
पाऊँ न जन्म यदि मरकर यहाँ दुबारा, मैं
कर देना क्षमा, दयानिधि! मेरी दुर्बलता
यदि चाहूँ नहीं परम सुखधाम तुम्हारा, मैं
क्षमायाचना
हो मिलन न प्रियजन से अनंत की धारा में
पाऊँ न जन्म यदि मरकर यहाँ दुबारा, मैं
कर देना क्षमा, दयानिधि! मेरी दुर्बलता
यदि चाहूँ नहीं परम सुखधाम तुम्हारा, मैं