kasturi kundal base
कहीं का ईंट, कहीं का रोड़ा
भानुमती ने कुनबा जोड़ा।
ओ मेरे उत्पाती मन!
तूने मुझे कहींका भी नहीं छोड़ा।
जाने कौन-सा अबूझ स्वन
सदा तुझे छलता रहा,
जब भी लक्ष्य सामने आया
तू दौड़कर आगे निकलता रहा।
कहीं का ईंट, कहीं का रोड़ा
भानुमती ने कुनबा जोड़ा।
ओ मेरे उत्पाती मन!
तूने मुझे कहींका भी नहीं छोड़ा।
जाने कौन-सा अबूझ स्वन
सदा तुझे छलता रहा,
जब भी लक्ष्य सामने आया
तू दौड़कर आगे निकलता रहा।