kasturi kundal base
तेरी पूजा हमें यह अवकाश कब देती है
कि माला से टूटकर गिरनेवाले फूल को
धरती से उठा लें;
पुन: उसे अपनी डलिया में सजा लें |
जब तक हम हाथ बढ़ाते हैं,
उसकी हर पंखड़ी
मिट्टी में सन चुकी होती है,
सुगंध हवा बन चुकी होती हैं;
यही नहीं,
उसे प्राप्त करने के प्रयत्न में
हमारे धागे के और भी कितने ही फूल
टूट-टूट जाते हैं,
हम माल्यार्पण में भी पीछे छूट जाते हैं !