kasturi kundal base

मुझे ही यह चिता क्‍यों हो
कि मेरा जीवन
अब तक भी किसी ठिकाने नहीं लगा है!
क्या यह धरती भी आज तक
शून्य में ही नहीं झूल रही है!
ये ग्रह-नक्षत्र,
यह सारा ब्रह्मांड ही अधर में नहीं टँगा है !