kasturi kundal base
शैतान को हमारी देह से कोई प्रयोजन नहीं,
वह तो केवल हमारे मन पर हाथ धरता है,
फूल वैसे ही डाल पर खिले रहते हैं
और खुशबू चुरा-चुराकर वह अपनी झोली में भरता है,
वह कभी हमारे पूजा-पाठ में विघ्न नहीं डालता,
उसे हमारे बाह्याचार की बहुत कम चिता है,
न तो वह हमारे ललाट का तिलक पोंछता है,
न हमारी उँगलियों में फिरनेवाले मनके गिनता है,
उसे तो देवाराधन के बीच-बीच में
उसकी भी बातें सुननेवाला एक भक्त चाहिए।
हम मंदिर में रहें चाहे मस्जिद में,
हमारे हृदय का केवल एक बूँद रक्त चाहिए।