kavita
याद
आज वायु के झोंके-सी, प्रिय! आयी याद तुम्हारी
सिहर उठे ये प्राण, तिमिर में आया जाने कौन
और चू पड़े दो उजले मोती गालों पर मौन
हाहाकार कर उठा, अनुभव कर अपनी लाचारी
एक साथ आ गये याद बीते सुख-दुःख हजार
मानो कोई मींड़ भर गया तारों में झंकार
नाच गयीं आँखों में कुछ तस्वीरें प्यारी-प्यारी
वे न रहे, रह गयी याद ही केवल उनकी साथ
हृदय हमारा, हाय! पड़ गया हृदयहीन के हाथ
वे तो गये, आज मेरे भी जाने की है बारी
आज वायु के झोंके-सी, प्रिय! आयी याद तुम्हारी
1940