kavita
वे दिन एक कहानी
याद कभी सूने में आती
कोई चुपके से कह जाती
भूल, अभागे मानव! वह थी यौवन की नादानी
जीवन तप है, जलना होगा
जीवन गति है, चलना होगा
ढुलका दूँ नयनों में जो कुछ है स्मृतियों का पानी
जीवन बीत गया, बीतेगा
काल न पर प्रतिध्वनि जीतेगा
गाकर सुख पा लेगा पल भर कोई मुझ-सा प्राणी
वे दिन एक कहानी
1939