kitne jivan kitni baar

कस तो दिये प्राणों के तार
सुरों का परस नहीं दिया
अच्छा किया तुमने यह प्यार
जीवन भर तड़पा किया

कैसा क्रूर व्यंग्य!
कैसा निष्ठुर परिहास !
रहे दूर-दूर सदा
और पास-पास
देकर एक स्मिति का उपहार
बदले में सब कुछ ले लिया

कस तो दिये प्राणों के तार
सुरों का परस नहीं दिया
अच्छा किया तुमने यह प्यार
जीवन भर तड़पा किया