kitne jivan kitni baar

न जाने क्या होगा उस ओर
खींचे जिधर लिये जाती है मुझे साँस की डोर

कैसा यह रहस्यमय पथ है
चलता जिस पर जीवन-रथ है?
कैसी यह चिर-कथा अकथ है

जिसका ओर न छोर?

तिमिर भूमि है, तिमिर व्योम है
तिमिर सूर्य है, तिमिर सोम है
कम्पित करता रोम-रोम है

सम्मुख यह तम घोर

क्या पाना, खोना है इसमें!
क्या हँसना, रोना है इसमें!
क्या कुछ भी होना है इसमें

करके इतना जोर!

न जाने क्या होगा उस ओर
खींचे जिधर लिये जाती है मुझे साँस की डोर