kitne jivan kitni baar
प्रेम को तेरे आज परीक्षा
जीवन खड़ा द्वार पर तेरे, देने दुख की दीक्षा
माना, तू नभ में था उड़ता
पल-पल में रवि-शशि से जुड़ता
किंतु भूमि पर कब है मुड़ता
थी बस यही प्रतीक्षा
अब काँटों पर बढ़ना होगा
गिरि-शिखरों पर चढ़ना होगा
मंत्र वही अब पढ़ना होगा
पायी जिसकी शिक्षा
प्रेम की तेरे आज परीक्षा
जीवन खड़ा द्वार पर तेरे, देने दुख की दीक्षा