kuchh aur gulab

पीने की देर है न पिलाने की देर है
प्याला हमारे हाथ में आने की देर है

हैं सैकड़ों सवाल, हज़ारों शिकायतें
होली पे उनको सामने पाने की देर है

मंज़िल हरेक क़दम पे है इस दिल की राह में
बेगानगी का परदा हटाने की देर है

देखेंगे सर को गोद में हम उनकी रात भर
बेहोश होके होश में आने की देर है

दम भर में बदल जायगी रंगत तेरी, गुलाब !
उनके ज़रा निगाह उठाने की देर है