kuchh aur gulab
आपने ज़िंदगी न दी होती
क्यों ये मरने की बेकली होती !
कोई दिल के क़रीब आता क्यों
दोस्ती दोस्ती रही होती !
हम भी आँखें बिछाये बैठे थे
एक नज़र इस तरफ़ भी की होती
आप अपना जवाब थे ख़ुद ही
हम न होते तो क्या कमी होती !
याद करते गुलाब को जो आप
झुकके काँटों ने राह दी होती