kuchh aur gulab
लगा कि अब तेरी बाँहों में कोई और भी है
हमीं हों दिल में, निगाहों में कोई और भी है
ये कौन रात तड़पता रहा है काँटों पर !
निशान फूल की राहों में कोई और भी है
जवाब जिसका आज तक नहीं हुआ मालूम
सवाल उनकी निगाहों में कोई और भी है
पता नहीं कि उधर बेबसी में क्या गुज़री !
शरीक दिल के गुनाहों में कोई और भी है
ख़बर किसे है, हवाओं के मन में क्या है, गुलाब !
छिपा बहार की छाँहों में कोई और भी है