kuchh aur gulab
उस नज़र पे छाये हुए और सौ गुलाब
लीजिए, हैं आये हुए और सौ गुलाब
क्या करें जो दिल को तुम्हीं एक भा गये
यों तो थे सजाये हुए और सौ गुलाब !
कोई देखकर है निगाहें चुरा रहा
आज हैं पराये हुए और सौ गुलाब
रोकिये भले ही अदाओं को प्यार की
खिल रहे लजाये हुए और सौ गुलाब
हम नहीं रहे तो क्या बहार मिट गयी !
बाग़ था छिपाये हुए और सौ गुलाब