mere geet tumhara swar ho
मुझे भर लेती है बाँहों में
फूलों की सुगंध, जब मैं फिरता वन की राहों में
पत्तों के घूँघट सरका कर
देखा करते दो दृग सुन्दर
झुक चुम्बन लेती गालों पर
तरुशाखा छाओं में
हरियाली की ओढ़े चादर
वनश्री नील वर्ण सोयी भू पर
जग जाती है पग ध्वनि सुन कर
मिलने की चाहों में
मुझे भर लेती है बाँहों में
फूलों की सुगंध, जब मैं फिरता वन की राहों में