meri urdu ghazalen
हवा ने कुछ हँसी में कह दिया क्या!
बदलता रुख़ रुख़े-गुलज़ार क्या-क्या!
हजारों दाग़ दिल में आसमाँ के
तुम्हारी याद में जलता रहा क्या!
जवानी क्या न जिसमें बलबले हों
न हो बिजली तो सावन की घटा क्या!
करे मत याद मर जाने पे दुनिया
नहीं जब मैं तो मेरा तज़किरा क्या!
जमाने को बुरा मैं देखता हूँ
बुरा मुझ-सा कहीं है दूसरा क्या!
वफ़ा तो वह करें जिसमें वफ़ा हो
जफ़ा-परवर से उम्मीदे-वफ़ा क्या!