nao sindhu mein chhodi

कुछ तो पुण्य कमाया होगा
तेरे अधरों तक मेरा स्वर यों ही पहुँच न पाया होगा

एक बाँस की क्षुद्र नली ने
कैसे लोगों के मन छीने!
जग में गाये गीत सभी ने

यों न किसीने गाया होगा

इस बंशी में दाग बहुत हैं
रिक्त, बेसुरे भाग बहुत हैं
फिर भी ऐसे राग बहुत हैं

जिनपर तू मुस्काया होगा

मोह स्वयं का किसे न ठगता!
क्या मैं सपने में हूँ जगता!
मुझे यही रह रह कर लगता

कुछ तुझको भी भाया होगा

कुछ तो पुण्य कमाया होगा
तेरे अधरों तक मेरा स्वर यों ही पहुँच न पाया होगा