nao sindhu mein chhodi

दुनिया काँटों की क्यारी है
काँटों पर ही रंगों की यह कुल मीनाकारी है

पल-पल अश्रु-कणों से सिंचित
काँटे नव-नव छवि धरते नित
काँटों की यह चुभन सुगन्धित

फूलों से प्यारी है

काँटों से बिंधता जब अंतर
फूटा करते हैं मधुमय स्वर
काँटों का किरीट ले सिर पर

उसकी बलिहारी है

कृपा-दृष्टि होती जब तेरी
मिलती यह काँटों की ढेरी
जो सच-सच कह दूँ तो मेरी

काँटों से यारी है

दुनिया काँटों की क्यारी है
काँटों पर ही रंगों की यह कुल मीनाकारी है