nao sindhu mein chhodi
मेरी दुर्बलता ही बल है
जिसके कारण मुझे सँभाले रहता तू प्रतिपल है
ठेस नहीं मुझको यदि लगती
क्यों तुझमें यह करूणा जगती!
मेरे अश्रु-कणों को रंगती
तेरी दृष्टि सजल है
मैंने दुख में भी सुख पाया
जब तू मुझे उठाने आया
पर जो तुझे कष्ट पहुँचाया
सोच, ह्रदय विह्वल है
मेरी दुर्बलता ही बल है
जिसके कारण मुझे सँभाले रहता तू प्रतिपल है