nupur bandhe charan

आज अणु-अणु सौभाग्य भरा
करुणा की बूँदों से धुलकर पावन वसुंधरा

घर-घर में सुख-शांति-संपदा
गातीं दिग्वधुयें प्रियंबदा
स्नेह-वृष्टि कर रही शारदा

कनक-प्रसून-करा

ज्योति-अमृत की वर्षा होती
हृदय-सीप में फूटे मोती
कुंज-कुंज में जीवन बोती

प्राण-पिकी मुखरा

दवा ने भी हाथ बिछाया
चरण-स्पर्श को अंबर आया
दूर-दूर भू का लहराया

अंचल. हरा-हरा

कर्ममयी, निष्काम किरण धर
अमर बन रहे क्षण-क्षण नश्वर
कास-कुसुम-सा दूब-दूब पर

रजत-हास बिखरा

गलकर बीज बिटप है बनता
झरता’ फूल, सफल निर्जनता
कोटि प्रदीपमुखी – चेतनता

दीपशिखा अजरा

आज अणु-अणु सौभाग्य भरा
करुणा की बूँदों से धुलकर पावन वसुंधरा

1953