pankhuriyan gulab ki
तू जिसके लिये बेचैन है यों, वह दर्द को तेरे जान तो ले
सीने पे न रक्खे हाथ, मगर, सीने की तड़प पहचान तो ले
होंठों पे न आये नाम तेरा, वह मुड़के तुझे देखे भी नहीं
तू भी है उसीका दीवाना, इस बात को दिल में जान तो ले
हो फूल न तू काँटा ही सही, कुछ बाग़ में अपनी साख तो रख
वह प्यार से चाहे गले न लगे, तुझे देखके घूँघट तान तो ले
या जीतके उसको अपना बना, या हारके बन जा तू उसका
हर हाल में तेरी जीत ही है, यह प्यार की बाज़ी ठान तो ले
माना कि, गुलाब ! उन आँखों में, रंगों का तेरे कुछ मोल नहीं
राहों में बिखर जा प्यार की तू, कुछ दिल का कहा भी मान तो ले