ravindranath:Hindi ke darpan me

जन्मदिन

आमार ए जन्मदिन माझे आमि हारा,
आमि चाही बन्धूजन यारा
ताहादेर हातेर परसे
मर्त्येर अंतिम प्रीतिरसे
निए जाबो जीवनेर चरम प्रसाद
निए जाबो मानूषेर शेष आशीर्वाद
शून्य झूली आजिके आमार
दियेछि उजाड़ करि
याहा किछू आछिलो दिबार
प्रतिदान यदि किछू पायी
किछू स्नेह, किछू क्षमा
तबे ताहा संगे निये याई
पारेर खेयाय जाबो जबे
भाषाहीन शेषेर उत्सवे

जन्मदिन

आज मैं थकाहारा
जन्मदिन के आयोजन की इस सन्निधि द्वारा
चाहता हूँ पाना बंधुजनों के कर का मृदु परस
मर्त्यभू का अंतिम प्राप्तव्य प्रीति-रस
जीवन का चरम प्रसाद
मानवों का अंतिम आशीर्वाद
मेरी यात्रा पूरी हो ली
जा रहा हूँ मैं आज रिक्त कर अपनी झोली
जो कुछ भी देने योग्य लाया था अपने साथ
लुटा चुका हूँ उसे खुले हाथ
प्रतिदान में कुछ स्नेह, कुछ क्षमा यदि पाऊँ
पार जाने की नौका पर जब चढ़ूँ
शेष के मौन उत्सव में उसे साथ लिये जाऊँ ।