ravindranath:Hindi ke darpan me
कर्तव्यग्रहण
के लइबे मोर कार्य, कहे संध्यारवि —
शुनिया जगत् रहे निरुत्तर छवि ।
माटिर प्रदीप छिलो ; से कहिलो, ‘श्वामी,
आमार येटूकू साध्य करिबो ता आमि ।‘
कर्तव्यग्रहण
सांध्य-रवि बोले, ‘मेरा स्थान लेगा कौन ?’
सुनकर यह जग में सभी नतशिर रहे मौन
मिट्टी का लघु दीप बोला, ‘मैं लूँगा, श्रीमान !
यथाशक्ति तम से लड़ूँगा, निराश हों न’