ret par chamakti maniyan
अँधेरा कहाँ है ?
असत्य कहाँ है ?
उन्हें स्वीकार करते ही वे अस्तित्व पा लेंगें।
हमें बढ़कर अपनी गोद में उठा लेंगे।
यदि लड़-भिड़कर उन्हें मिटा देना संभव होता
तो क्यों इस धरती पर
अब भी शैतान का उपद्रव होता?
वे तो सत्य की छाया भर हैं
हमारे मन की माया भर हैं,
सूरज सिर पर आ जाय
तो छाया स्वयं मिट जाती है,
मन को मिटा देते ही
माया स्वयं मिट जाती है।