ret par chamakti maniyan

सारी आयु हम अपने ही विचारों की कैद में रहते हैं,
अपने ही भावों की यंत्रणा सहते हैं।
मैं कुछ देर के लिए
इस घेरे के बाहर निकलना चाहता हूँ,
सुनना चाहता हूँ,
दूसरे क्‍या कहते हैं।